जिंदगी मेरी या मेरे अपनो की
शीर्षक : सुलगते अल्फाज (भाग 2,)
हुई शादी , सात फेरे हुए , और हम किसी और की हुए ।
अरमान थे दिल में बहुत से , सपनो का घरौंदा बनाया था ।
लेकिन अरमान कहां किसी के पूरे हुए ।
एक घर छोड़ कर दूसरे घर पहुंच गए ।
सुना था मम्मी से मायका पराया और ससुराल अपना होता है ।
तो हमने भी सुसराल को अपना बनाने के अरमान सजाए थे ।
लेकिन अरमान कहां किसी के पूरे हुए।
पहुंचे ससुराल अपना घर मान के ,
लेकिन क्या उन घरवालों ने हम अपना माना था ??
हमने तो घर के हर एक सदस्य से दिल का रिश्ता जोड़ा था ,
लेकिन क्या उन्होंने हमसे दिल का रहता जोड़ा था।
हमने तो अपने जीवन साथी को अपना सच्चा हमसफर माना था ,
लेकिन क्या उसने हमसे दिल से रिश्ता बनाया था
हमने जीवन साथी के साथ एक खुशाल परिवार के अरमान सजाए थे ।
लेकिन अरमान कहां किसी के पूरे हुए??????
शादी के 2 महीने बाद हर हफ्ते नए सरप्राइज़ मिलते गए , और हम उनसे समझौता करते गए , करते गए ,
और करते गए ।
क्योंकि अरमान कहां किसी के पूरे हुए ?????
तो जानते है अगले भाग में क्या हुआ ????🤔🤔
स्वरचित : निधि सक्सैना
Gunjan Kamal
05-Dec-2022 06:53 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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